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भारतीय अर्थव्यवस्था

अभिनव पहल | ओएनडीसी | प्रगति का द्वार

  • 24 Jan 2025
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

डिजिटल कॉमर्स के लिये ओपन नेटवर्क (ONDC), लघु व्यवसाय, ई-कॉमर्स, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT), एससी/एसटी उद्यमी, डिजिटल मार्केटप्लेस, वित्तीय सेवाएँ, 14 वें भारत डिजिटल पुरस्कार, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME), लघु व्यवसायों का औपचारिकीकरण, लॉजिस्टिक्स, एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI), शिकायत निवारण प्रणाली

मेन्स के लिये:

छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाने और समावेशी ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने में ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) का महत्त्व। 

चर्चा में क्यों?

ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) ने 15 मिलियन मासिक लेनदेन को पार कर लिया, जिससे छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाया गया और समावेशी ई-कॉमर्स को बढ़ावा मिला।

  • इस पहल ने मई 2024 में 8.9 मिलियन लेनदेन का सर्वकालिक उच्च स्तर दर्ज किया, जो कि महीने-दर-महीने 23% की उल्लेखनीय वृद्धि है।

डिजिटल कॉमर्स के लिये ओपन नेटवर्क क्या है?

  • ओएनडीसी के बारे में: वाणिज्य मंत्रालय के तहत उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन  विभाग (DPIIT) द्वारा अप्रैल 2022 में लॉन्च किये गए ओएनडीसी का उद्देश्य ई-कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण करना है।
    • यह ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म क्रेताओं और विक्रेताओं के बीच निर्बाध लेन-देन की अनुमति देता है, जो प्लेटफॉर्म-केंद्रित से ओपन-नेटवर्क मॉडल में परिवर्तित होता है।
    • ओएनडीसी को सार्वजनिक और निजी बैंकों के योगदान तथा ₹500 करोड़ की अधिकृत पूंजी के साथ एक गैर-लाभकारी धारा-8 कंपनी के रूप में शामिल किया गया था।
  • उद्देश्य: इस पहल का उद्देश्य अंतर-संचालन और समावेशिता के माध्यम से प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के प्रभुत्व को कम करना है।
    • ओएनडीसी छोटे व्यवसायों, महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों और एससी/एसटी उद्यमियों को डिजिटल बाज़ार तक पहुँचने के लिये उपकरण प्रदान करके सशक्त बनाता है।
    • इसका ध्यान नेटवर्क पर व्यवसायों के लिये ग्राहक अधिग्रहण लागत और लेनदेन प्रसंस्करण व्यय को कम करने पर है।
    • ओएनडीसी क्षेत्रीय और भाषाई विभाजन को कम करता है तथा वंचित बाज़ारों से भागीदारी को बढ़ावा देता है।
    • नेटवर्क यह सुनिश्चित करता है कि उपभोक्ताओं को विविध विक्रेताओं, प्रतिस्पर्द्धी कीमतों और बेहतर गुणवत्ता वाली सेवाओं तक पहुँच मिले।
  • कार्यप्रणाली: ओएनडीसी की विकेंद्रीकृत अवधारणा खुले प्रोटोकॉल का उपयोग करती है, जिससे विभिन्न प्लेटफार्मों पर क्रेता और विक्रेता मानकीकृत एपीआई के माध्यम से लेनदेन करने में सक्षम होते हैं।
    • भूमिकाओं को स्पष्ट रूप से क्रेता ऐप्स, विक्रेता ऐप्स, लॉजिस्टिक्स प्रदाता और प्रौद्योगिकी सक्षमकर्त्ता में विभाजित किया गया है, जिससे दक्षता और ज़िम्मेदारी सुनिश्चित होती है।
    • ओएनडीसी खाद्य, किराने का सामान, गतिशीलता, फैशन, कृषि और वित्तीय सेवाओं सहित 13 क्षेत्रों में परिचालन की सुविधा प्रदान करता है।
  • उपलब्धियाँ: ओएनडीसी अब 616 से अधिक शहरों तक फैल चुका है, जिससे इसकी भौगोलिक कवरेज और क्रेताओं तथा विक्रेताओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
    • आरंभ में बेंगलुरु और दिल्ली में इसका परीक्षण किया गया तथा बाद में ओएनडीसी ने गतिशीलता, स्वास्थ्य, सौंदर्य तथा कृषि जैसी श्रेणियों में इसका विस्तार किया।
    • वर्ष 2024 से वर्ष 2027 तक सक्रिय एमएसएमई-टीम योजना का लक्ष्य 5 लाख एमएसएमई को शामिल करना है, जिसमें 2.5 लाख महिला स्वामित्व वाले उद्यम शामिल हैं।
    • ओएनडीसी ने कई पुरस्कार जीते, जिनमें 14 वें इंडिया डिजिटल अवार्ड्स में "स्टार्ट-अप ऑफ द ईयर" और 2024 में "टेक डिसरप्टर" पुरस्कार शामिल हैं।

ओएनडीसी के क्या लाभ हैं?

  • लघु व्यवसायों और एमएसएमई को सशक्त बनाना: ओएनडीसी महंगी प्लेटफॉर्म-विशिष्ट नीतियों पर निर्भरता को कम करके, राष्ट्रव्यापी दर्शकों तक उनकी पहुँच बढ़ाकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को सशक्त बनाता है।
    • एमएसएमई को डिजिटल कौशल विकास के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रमों और कैटलॉगिंग और ऑर्डर पूर्ति के लिये ओएनडीसी के इंटरऑपरेबल प्रोटोकॉल से लाभ मिलता है।
    • एमएसएमई-टीम पहल विशेष रूप से महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों के लिये ऑनबोर्डिंग, कैटलॉग तैयारी, खाता प्रबंधन और लॉजिस्टिक्स में व्यवसायों की सहायता करती है।
  • डिजिटल वाणिज्य समावेशिता का विस्तार: ओएनडीसी स्थानीय विक्रेताओं, कारीगरों और ग्रामीण उद्यमियों की भागीदारी को सक्षम बनाता है, जिससे सामाजिक-आर्थिक समावेशिता तथा बाज़ार पहुँच बढ़ती है।
    • पाँच भाषाओं में उपलब्ध ओएनडीसी सहायक व्हाट्सएप बॉट जैसी पहल, विक्रेताओं और क्रेताओं के लिये प्लेटफॉर्म पर ऑनबोर्डिंग को सरल बनाती है।
  • उपभोक्ता अनुभव और प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि: क्रेताओं को विक्रेताओं की एक विस्तृत शृंखला, विविध उत्पाद विकल्पों और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण तक पहुँच का लाभ मिलता है, जिससे उपभोक्ता संतुष्टि में वृद्धि होती है।
    • ओएनडीसी विक्रेताओं के बीच प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करके एकाधिकार नियंत्रण को समाप्त करता है, जिससे नवाचार और सेवाओं की बेहतर गुणवत्ता को बढ़ावा मिलता है।
  • आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन: यह पहल छोटे व्यवसायों को औपचारिक बनाने तथा डिजिटल रिकॉर्ड बनाने में सहायता करती है, जिससे ऋण और वित्तपोषण तक पहुँच में सुधार होता है।
    • ओएनडीसी विशेष रूप से छोटे शहरों में लॉजिस्टिक्स, प्रौद्योगिकी, पैकेजिंग और अंतिम-चरण डिलीवरी में नौकरियाँ सृजित करके आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
  • डिजिटल वाणिज्य नवाचार में अग्रणी: ओएनडीसी की ओपन-सोर्स कार्यप्रणाली तकनीकी प्रगति को प्रोत्साहित करती है, जिससे डेवलपर्स को ई-कॉमर्स पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर नवाचार करने की अनुमति मिलती है।
    • स्वास्थ्य, गतिशीलता और कृषि जैसे क्षेत्रों में प्लेटफॉर्म का विस्तार भारत की डिजिटल वाणिज्य आवश्यकताओं को पूरा करने में इसकी बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित करता है।

ओएनडीसी के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?

  • परिवर्तन और अपनाने की जटिलता: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) जैसी सरल प्रणालियों के विपरीत, ONDC की विकेंद्रीकृत अवधारणा पर्याप्त तकनीकी जागरूकता की मांग करती है, जो छोटे व्यवसायों के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न करती है।
    • प्रमुख प्लेटफार्मों के अभ्यस्त उपभोक्ताओं को निर्बाध ऑनबोर्डिंग तंत्र के बिना ONDC के खुले नेटवर्क में संक्रमण चुनौतीपूर्ण लग सकता है।
  • विवाद समाधान और जवाबदेही के मुद्दे: ओएनडीसी में केंद्रीकृत शिकायत निवारण प्रणाली का अभाव है, जिससे विलंबित डिलीवरी या उत्पाद की गुणवत्ता जैसे मुद्दों के लिये जवाबदेही पर अस्पष्टता उत्पन्न होती है।
    • चूँकि ओएनडीसी केवल एक सुविधा प्रदाता के रूप में कार्य करता है, इसलिये विवाद बढ़ सकते हैं, जिससे उपयोगकर्त्ता का विश्वास और अपनाने की दर प्रभावित हो सकती है।
  • स्थापित प्लेटफार्मों से प्रतिस्पर्द्धा: मौजूदा ई-कॉमर्स दिग्गज अपने व्यापक उपभोक्ता आधार, लॉयल्टी कार्यक्रमों और बंडल सेवाओं के साथ हावी हैं, जो ओएनडीसी की अपील को चुनौती दे रहे हैं।
    • प्रभावी रणनीतियों के बिना, ONDC को पहले से ही स्थापित पारिस्थितिकी प्रणालियों में निवेश करने वाले विक्रेताओं और खरीदारों को आकर्षित करने में कठिनाई हो सकती है।
  • तकनीकी और तार्किक बाधाएँ: विविध तकनीकी क्षमताओं वाले विविध प्रतिभागियों को एकीकृत करने के लिये महत्त्वपूर्ण संसाधनों की आवश्यकता होती है, जिससे एक समान नेटवर्क दक्षता सुनिश्चित करने में चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
    • 616 से अधिक शहरों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वसनीय लॉजिस्टिक्स और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करना नेटवर्क के लिये एक कठिन कार्य है।
  • प्रत्यक्ष मूल्य नियंत्रण का अभाव: स्थापित प्लेटफार्मों के विपरीत, ओएनडीसी का सुविधा प्रदाता मॉडल, छूट प्रदान करने या थोक मूल्य निर्धारण रणनीतियों को सीधे प्रभावित करने की इसकी क्षमता को सीमित करता है।
    • महत्त्वपूर्ण लागत लाभ का अभाव, मूल्य-संवेदनशील उपभोक्ताओं को ONDC में जाने से रोक सकता है।

आगे की राह

  • डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश: सरकार को डिजिटल डिवाइड को पाटने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये, यह सुनिश्चित करना चाहिये कि ग्रामीण क्षेत्रों में निर्बाध संचालन के लिये मज़बूत ब्रॉडबैंड और मोबाइल कनेक्टिविटी हो। भौतिक और तकनीकी अवसंरचना को बढ़ाने से ONDC को देशव्यापी स्केलेबिलिटी तथा समावेशिता प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • डिजिटल साक्षरता और सरल उपयोग को बढ़ावा देना: क्षेत्रीय भाषाओं में व्यापक शिक्षा कार्यक्रम और इंटरैक्टिव उपकरण क्रेताओं तथा विक्रेताओं को ONDC को प्रभावी रूप से नेविगेट करने में सक्षम बना सकते हैं। उपयोगकर्त्ता इंटरफ़ेस को सरल बनाने और चरण-दर-चरण मार्गदर्शन प्रदान करने से ऑनबोर्डिंग में सुधार होगा तथा गैर-तकनीकी उपयोगकर्त्ताओं की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
  • विवाद समाधान तंत्र को मज़बूत करना: ONDC को क्रेता-विक्रेता विवादों को सुलझाने और पारिस्थितिकी तंत्र में विश्वास को बढ़ावा देने के लिये एकल-खिड़की शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करनी चाहिये। रसद, भुगतान और बिक्री के बाद की सेवाओं के लिये स्पष्ट जवाबदेही को परिभाषित करने से सुचारू संचालन एवं बेहतर उपयोगकर्त्ता संतुष्टि सुनिश्चित होगी।
  • सहयोगात्मक रणनीतियाँ और प्रोत्साहन: ONDC को मौजूदा ई-कॉमर्स खिलाड़ियों, स्टार्टअप और उद्योग निकायों के साथ सहयोग करना चाहिये ताकि अपनाने में तेज़ी आए तथा इसकी पहुँच का विस्तार हो। ऑनबोर्डिंग के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करना और शुरुआती अपनाने वालों के लिये कर प्रोत्साहन बनाना एमएसएमई तथा छोटे व्यवसायों की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा।
  • प्रौद्योगिकी के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देना: ONDC को दक्षता बढ़ाने के लिये व्यक्तिगत खरीदारी के लिये AI और सुरक्षित लेनदेन के लिये ब्लॉकचेन जैसी उभरती हुई तकनीकों का लाभ उठाना चाहिये। ONDC पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर निजी क्षेत्र के नवाचारों को प्रोत्साहित करने से प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी और उपभोक्ता अनुभव बेहतर होंगे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: भारत में कार्यरत विदेशी स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स फर्मों के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है/हैं? (2022)

  1. वे अपने प्लेटफॉर्म को बाज़ार के रूप में पेश करने के अलावा अपना सामान भी बेच सकते हैं।
  2. वे अपने प्लेटफॉर्म पर बड़े विक्रेताओं को अपने नियंत्रण में रखने की सीमा को सीमित कर सकते हैं।

नीचे दिये गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 व 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (B)


मेन्स:

प्रश्न: भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास में विपणन और आपूर्ति शृंखला प्रबंधन में क्या बाधाएँ हैं? क्या ई-कॉमर्स इस बाधा को दूर करने में मदद कर सकता है? (2015)

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